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रक्षा बंधन भाई और बहन के बीच प्रेम का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी लम्बी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं तथा भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वादा करते हैं। किन्तु भारत में एक अकेला यही पर्व नहीं है जो भाई-बहन के प्यारे रिश्ते को अभिव्यक्त करता है। इसके अतिरिक्त भी एक पर्व ऐसा है जो भाई-बहन के रिश्ते को बहुत महत्व देता है और वो है भाई-दूज। कार्तिक आमावस्या के दो दिन बाद आने के कारण इसे भाई दूज कहा जाता है जिसमें बहनें अपने भाईयों के माथे पर टीका लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और उन्हें मीठा खिलाती हैं। भले ही दोनों पर्व अलग-अलग हैं किंतु दोनों के पीछे का भाव एक ही है। क्योंकि दोनों ही पर्व भाई के लम्बे जीवन, समृद्धि, बहन की सुरक्षा तथा दोनों के बीच प्रेम भावना को अभिव्यक्त करते हैं। इन दोनों पर्वों को मनाने के पीछे अलग-अलग किंवदंतियाँ हैं तथा इन्हें मनाने के तरीके भी भिन्न-भिन्न हैं जिस कारण दोनों पर्व एक दूसरे से अलग तथा अनोखे हैं।
दीपावली के दो दिन बाद आज आप भाई-दूज के इस पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं। यह पर्व भारत के विभिन्न भागों के अतिरिक्त अन्य देश जैसे नेपाल में भी मनाया जाता है। हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में भाई-बहन के इस रिश्ते को जीवंत रखने तथा मनाने के लिए "भाई-बहन दिवस” (सिब्लिंग्स डे / Siblings Day) और "सिस्टर्स डे” (Sisters Day) हर साल अगस्त माह में मनाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाने के कारण इसे मनाए जाने की विधियां तथा नाम भी विविध हैं। तो चलिए जानते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों या प्रांतो में कैसे मनाया जाता है भाई-दूज।
इस मौके को पारंपरिक अंदाज़ में मनाने के लिए, बहनें अपने भाइयों के माथे पर धार्मिक टीके के रूप में सिंदूर और चावल लगाती हैं। इसके बाद बहन अपने भाई की हथेलियों में कद्दू का फूल, पान का पत्ता, सुपारी, सिक्के आदि रखकर धीरे-धीरे हथेली पर जल चढ़ाकर मंत्रों का जाप करती हैं। यह मंत्र मृत्यु के देवता यम के लिए होता है। इसके बाद हाथ पर कलावा बांधा जाता है और बहन द्वारा भाई की आरती की जाती है। इस अवसर पर भाई और बहन के बीच उपहारों का आदान-प्रदान भी होता है और बड़ों से आशीर्वाद लिया जाता है। बिहार में भाई-दूज का जश्न कुछ अलग और अनोखे अंदाज़ में मनाया जाता है। यहाँ, बहनें अपने भाइयों को पहले अपार श्राप और गालियाँ देती हैं और फिर बाद में उनसे माफी माँगने के साथ-साथ दंड के रूप में अपनी जीभ को चुभोती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी सलामती की दुआ करते हैं।
पश्चिम बंगाल में इस पर्व को भाई फोता के नाम से जाना जाता है और यह काली पूजा पर्व के पहले या दूसरे दिन आता है। इसमें भाइयों के लिए एक भव्य भोज का आयोजन तथा कई अनुष्ठान किये जाते हैं। बहनें पारंपरिक समारोहों के पूरा होने तक व्रत रखती हैं तथा भगवान से उनकी लंबी उम्र की दुआ मांगने के लिए भाई के माथे पर घी, चंदन और काजल का तिलक लगाती हैं। पारंपरिक मिठाइयों के रूप में खीर और नारियल के लड्डू का भोग लगाया जाता है। महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और गोवा में बहनें फर्श पर एक चौकोर रेखा खींचती हैं जहाँ भाइयों को बिठाकर ‘कारित’ नाम का एक कड़वा फल खिलाया जाता है। इन क्षेत्रों में इसे भाई बीज या भाऊ बीज कहा जाता है। महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में यह मान्यता है कि जिन बहनों का कोई भाई नहीं है, वे भाई के रूप में चंद्रमा की पूजा करें। नेपाल में इस पर्व को नेवारी, मैथली, थारू, बाहुन और छेत्री समुदायों द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाता है।
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