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दशहरे के अवसर पर रावण के पुतले को जलाना हमारे देश में हजारों वर्ष की परंपरा रही है।
हालांकि लंकेश रावण ने अपने जीवनकाल के दौरान माता सीता सहित अनेक लोगों को भारी कष्ट
दिए, लेकिन अपनी मृत्यु के पश्चात् रामायण का यह खलनायक कई लोगों को आजीविका का एक
अच्छा अवसर प्रदान कर रहा है। चलिए जानते हैं कैसे?
दशहरे को हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन
भगवान राम ने रावण का वध किया था। पूरे देश में इस उत्सव को रावण, कुंभकरण और मेघनाथ
के पुतलों को जलाकर पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। रावण कई शिल्पकारों के लिए आजीविका
का स्रोत भी है खासतौर पर उनके लिए जो दिल्ली में इसका पुतला बनाते हैं। हर दशहरा में जलाए
जाने वाले रावण के अधिकांश पुतले दिल्ली शहर के पश्चिमी हिस्से में बनाए जाते हैं। सुभाष नगर
में तितरपुर टैगोर गार्डन और बेरीवाला बाग, दोनों पश्चिमी दिल्ली में प्रसिद्ध बाजार हैं, जहां से
रावण के पुतले खरीदे जा सकते हैं। दिल्ली-एनसीआर और कभी-कभी राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे
राज्यों से भी ग्राहक, राक्षस राज रावण के पुतले खरीदने के लिए इस क्षेत्र में आते हैं।
बांस, लोहे की जाली और कागज से बने पुतलों पर काम महीनों पहले से शुरू हो जाता है। वे ग्राहकों
द्वारा दिए गए ऑर्डर के आधार पर अलग-अलग आकार में निर्मित किये जाते हैं। पुतले के कंकाल
के फ्रेम को बनाने के लिए तार द्वारा एक साथ रखी गई बांस की पट्टियों का उपयोग किया जाता
है। एक पुतले को उसके आकार के आधार पर बनाने में कई दिन लग सकते हैं। बांस के कंकाल को
लगाने के बाद, शिल्पकार उस पर गोंद के साथ कागज लगाना शुरू करते हैं। पुतले को बनाने के
लिए कागज की कई परतों का इस्तेमाल किया जाता है। कंकाल का फ्रेम बनने के बाद उसके चारों
ओर कागज या कपड़ा लपेटा जाता है और फिर अलग-अलग रंगों में रंगा जाता है। पुतलों की कीमत
उसके आकार पर निर्भर करती है। 60 फीट लंबे पुतलों की कीमत प्रति पीस 40,000 रुपये तक हो
सकती है। पुतला बनाने वाले अधिकांश श्रमिक मौसमी शिल्पकार होते हैं जो त्योहार समाप्त होने
के बाद अपने नियमित व्यवसायों में वापस चले जाते हैं।
पुतले में आग लगाने से पहले इन्हें पटाखों और अन्य ज्वलनशील पदार्थों से भरा जाता है।
हालांकि, पिछले दो वर्षों में महामारी ने इन पुतला निर्माताओं को भी काफी हद तक प्रभावित किया
है। 2020 में भीड़ की कमी और सख्त सरकारी नियमों के कारण अधिकांश आयोजकों ने दशहरा
नहीं मनाने का फैसला किया था।
पिछले दो-तीन वर्षों में महामारी ने इनके काम को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। 34 वर्षीय शम्मी
पेंटर जो की पुतला निर्माता हैं, के अनुसार "बाजार ख़त्म हो चुका है। हम दो-तीन साल पहले जितना
कारोबार करते थे, उसका सिर्फ 10 फीसदी ही हमें मिल रहा है।“ 2020 में, उनके पास केवल 10 बड़े
और 10 छोटे रावणों के लिए ऑर्डर हैं। इस दौरान हमारे रामपुर में भी रावण के पुतले बना रहे
परिवार महामारी की मार से त्रस्त नज़र आ रहे थे। यहां रावण का पुतला बनाने वाले एक मुस्लिम
परिवार के अनुसार उन्हें भी केवल छोटे पुतलों के ऑर्डर मिले हैं, जबकि बड़े पुतले वे केवल महामारी
से पहले बनाते थे।
लेकिन 2022 में महामारी का प्रभाव कम होने के बाद फिर से उम्मीद जगी है। दिल्ली के तितरपुर
के एक स्थानीय कारीगर नवीन के अनुसार इस वर्ष “लोग बड़ी संख्या में रावण के पुतले बुक करने
के लिए वापस आ रहे हैं। कोविड के कारण, पिछले कुछ वर्षों में व्यवसाय इतना अच्छा नहीं था,
लेकिन अब चीजें बेहतर हो रही हैं, और ग्राहक वापस आ रहे हैं। लेकिन अब पुतलों के रेट पहले के
मुकाबले थोड़े ज्यादा हैं, अब इसकी कीमत 500 रुपये प्रति फुट हो गई है।
इन लोगों ने त्योहार से 2
महीने पहले तैयारी शुरू कर दी थी और दशहरे से 2 दिन पहले डिलीवरी शुरू कर दी थी। हालांकि
कोविड के दौरान, रावण की मूर्तियाँ कम संख्या में बनाई गईं, और वह आम लोगों के लिए 5 फीट
और 10 फीट के छोटे-छोटे पुतले ही बनाते थे। लेकिन इस साल, स्थिति काफी अलग है, हम हर
त्योहार मना रहे हैं, पुतला व्यवसाय भी वास्तव में अच्छा चल रहा है, दशहरे के लिए लोगों में
उत्सुकता पहले से बहुत अधिक है, और इस साल बुकिंग भी पूरी हो गई हैं।
एक स्थानीय कलाकार
सोनू के अनुसार इस साल हम बिक्री में अच्छी बढ़ोतरी देखेंगे, हम इन पुतलों को बनाने के लिए
पिछले दो महीनों से दिन-रात काम कर रहे हैं। उनके अनुसार दिल्ली में पटाखों पर पाबंदी से बिक्री
अधिक प्रभावित नहीं हुई है। लोग खुद दशहरे के दौरान प्रदूषण कम करने के लिए पर्यावरण के
अनुकूल पटाखों का विकल्प चुन रहे हैं।
सन्दर्भ
https://bit.ly/3BZVolD
https://bit.ly/3SLsaNS
https://bit.ly/3fvMODn
https://bit.ly/3Ec8Sx7
चित्र संदर्भ
1. पुतला निर्माताओं को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों के चेहरों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. रावण के जलते पुतले को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. पुतले की रंगाई को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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