हर बच्चे के लिए सुरक्षित और शिक्षित बचपन

सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
12-06-2025 09:11 AM
हर बच्चे के लिए सुरक्षित और शिक्षित बचपन

बाल श्रम एक वैश्विक समस्या है, जो आज भी करोड़ों बच्चों के बचपन, शिक्षा और भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। विश्व भर में ऐसे असंख्य बच्चे हैं जिन्हें खेलने-कूदने और पढ़ाई करने की उम्र में मजबूरन मजदूरी करनी पड़ती है। इसी गंभीर स्थिति की ओर समाज और सरकारों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 12 जून को "बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस" मनाया जाता है। यह दिन न केवल बाल श्रम के खतरों और इसके प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम है, बल्कि यह वैश्विक समुदाय को यह संकल्प दिलाता है कि हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन का अधिकार मिलना चाहिए। इस लेख में हम जानेंगे कि बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस क्या होता है और इसे क्यों मनाया जाता है। हम समझेंगे कि इसका इतिहास क्या है और यह कैसे विकसित हुआ है। हम बाल श्रम के विभिन्न प्रकारों के बारे में पढ़ेंगे और जानेंगे कि बच्चे बाल श्रम में क्यों फँसते हैं, इसके पीछे कौन-कौन से सामाजिक और आर्थिक कारण होते हैं। अंत में, हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम के खिलाफ बनाए गए महत्वपूर्ण नियमों और कानूनों के बारे में जानेंगे, जो इस गंभीर समस्या से निपटने में मदद करते हैं।

बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है

बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस (World Day Against Child Labour) हर वर्ष 12 जून को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य उन बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना है जो बाल श्रम की अमानवीय परिस्थितियों में फंसे हुए हैं। इस दिवस की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने वर्ष 2002 में की थी, ताकि दुनिया भर में लोगों को यह समझाया जा सके कि किस प्रकार बाल श्रम बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास को बाधित करता है। इस दिवस के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि बच्चों का स्थान स्कूल और खेल के मैदान में है, न कि फैक्ट्रियों, खानों या खेतों में।

आज भी लगभग 100 से अधिक देश इस दिवस को जागरूकता अभियान, रैलियों, पोस्टरों, मीडिया कैंपेन और संगोष्ठियों के माध्यम से मनाते हैं। शोध के अनुसार, हर दसवां बच्चा दुनिया में बाल श्रम के चंगुल में है। लगभग 152 मिलियन बच्चे वर्तमान में बाल श्रम कर रहे हैं, जिनमें से 72 मिलियन खतरनाक परिस्थितियों में कार्यरत हैं। इन बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षित बचपन से वंचित कर दिया गया है। यह दिवस इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सरकारों, संगठनों और आम जनता को एक साथ मिलकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की प्रेरणा देता है, ताकि एक ऐसा समाज बन सके जहां हर बच्चा स्वतंत्रता, शिक्षा और सम्मान के साथ अपना बचपन जी सके।

बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस का इतिहास

बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस का इतिहास अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की लंबी यात्रा से जुड़ा हुआ है, जिसकी स्थापना 1919 में वैश्विक सामाजिक न्याय और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने श्रमिकों, विशेषकर बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए समय-समय पर कई महत्वपूर्ण कन्वेंशन (अंतरराष्ट्रीय समझौते) बनाए।

साल 1973 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने कन्वेंशन संख्या 138 पारित किया, जिसका उद्देश्य था सदस्य देशों को यह बाध्य करना कि वे बच्चों के लिए न्यूनतम कार्य आयु निर्धारित करें और स्कूल जाने की उम्र से पहले उन्हें किसी भी प्रकार के रोजगार में न लगाया जाए। इसके बाद 1999 में कन्वेंशन संख्या 182 लागू किया गया, जिसे बाल श्रम के सबसे बुरे स्वरूपों पर कन्वेंशन (Worst Forms of Child Labour Convention) के नाम से जाना जाता है। इसका लक्ष्य था दुनिया भर से सबसे खतरनाक और शोषणकारी बाल श्रम जैसे—मानव तस्करी, वेश्यावृत्ति, जबरन श्रम और खतरनाक उद्योगों में बच्चों के कार्य को खत्म करना।

इन सभी प्रयासों के परिणति के रूप में वर्ष 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) की शुरुआत हुई। इसका मकसद था विश्व समुदाय का ध्यान बाल श्रम की गंभीरता की ओर आकर्षित करना और इसके उन्मूलन के लिए ठोस कार्रवाई को प्रेरित करना। यह दिन अब वैश्विक मंच पर एक ऐसा अवसर बन गया है जब सरकारें, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं, गैर-सरकारी संगठन और आम नागरिक एकजुट होकर बच्चों के लिए एक सुरक्षित और गरिमामय जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते हैं। आईएलओ के अनुसार, जब तक हर बच्चा शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों से सशक्त नहीं होता, तब तक विकास अधूरा है।

बाल श्रम के प्रकार

बाल श्रम एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो विभिन्न रूपों में दुनिया के अनेक देशों में व्याप्त है, विशेषकर विकासशील और गरीब देशों में। इसके कई प्रकार होते हैं, जो बच्चों की उम्र, कार्य की प्रकृति, और उस कार्य की परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। सामान्यतः बाल श्रम को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है — सामान्य कार्य और खतरनाक कार्य।
(1) घरेलू बाल श्रम: इसमें बच्चे घरों में नौकर के रूप में काम करते हैं, जैसे सफाई, बर्तन धोना, बच्चों की देखभाल आदि। उन्हें अक्सर मामूली वेतन पर 10–12 घंटे काम करना पड़ता है और कई बार शारीरिक एवं मानसिक शोषण का भी सामना करना पड़ता है।
(2) खतरनाक श्रम: फैक्ट्रियों, खदानों, ईंट-भट्टों, पटाखा उद्योग, रसायन उद्योग, या निर्माण स्थलों पर बच्चों से कराए जाने वाले कार्य जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस श्रेणी में काम करने वाले बच्चों का जीवन हमेशा जोखिम में होता है।
(3) कृषि आधारित श्रम: ग्रामीण क्षेत्रों में कई बच्चे खेतों में काम करते हैं, बीज बोने, फसल काटने, कीटनाशकों के छिड़काव जैसे कार्यों में उन्हें लगाया जाता है। लंबे समय तक स्कूल से दूर रहने के कारण उनकी शिक्षा बाधित होती है।
(4) औद्योगिक एवं हस्तशिल्प कार्य: कालीन बुनाई, बीड़ी निर्माण, चूड़ी उद्योग, पटाखा निर्माण और चमड़ा उद्योग में भी बच्चों का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। ये काम कठिन, शारीरिक रूप से थकाने वाले और जोखिम भरे होते हैं।
(5) यौन शोषण से संबंधित श्रम: कुछ बच्चे जबरन वेश्यावृत्ति, बाल पोर्नोग्राफी, और मानव तस्करी में धकेले जाते हैं, जो सबसे भयावह, अमानवीय और अपराध की श्रेणी में आने वाला बाल श्रम है।

इन सभी श्रम रूपों में बच्चों का शोषण होता है और यह उनके जीवन, स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य दोनों को खतरे में डालता है। इन परिस्थितियों से बच्चों को निकालना एक नैतिक और कानूनी दायित्व होना चाहिए।

बच्चे बाल श्रम में क्यों फँसते हैं? 

बाल श्रम के पीछे कई गहरे और जटिल सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारण होते हैं, जो केवल एक पहलू तक सीमित नहीं रहते।
(1) गरीबी: यह सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है। जब परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब होती है और माता-पिता के पास पर्याप्त आय के साधन नहीं होते, तो वे बच्चों को कम उम्र में ही काम पर भेज देते हैं ताकि वे पारिवारिक आय में योगदान दे सकें।
(2) शिक्षा की कमी और स्कूलों की अनुपलब्धता: कई क्षेत्रों में शिक्षा की सुविधाएं या तो पर्याप्त नहीं होतीं, या स्कूल बहुत दूर होते हैं। कुछ स्कूलों की गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि बच्चे वहाँ रुचि नहीं लेते। नतीजतन, वे स्कूल छोड़कर काम में लग जाते हैं।
(3) सामाजिक कुरीतियाँ और परंपराएँ: कुछ समुदायों में यह धारणा होती है कि बच्चा जितनी जल्दी कमाना शुरू करे, उतना ही परिवार के लिए बेहतर है। यह सोच बच्चों को शिक्षा से दूर कर देती है।
(4) मानव तस्करी और जबरन मजदूरी: कई बार संगठित अपराध और मानव तस्करी नेटवर्क के तहत बच्चों को अगवा कर जबरन खतरनाक कामों में लगाया जाता है। इनमें बच्चे मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण के शिकार होते हैं।
(5) कानूनों का कमजोर क्रियान्वयन: बाल श्रम के खिलाफ कई सशक्त कानून मौजूद हैं, लेकिन उनकी निगरानी और पालन सही रूप से नहीं होता। कई बार भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता के कारण दोषी बच निकलते हैं, और बच्चे शोषण के चक्रव्यूह में फँसे रह जाते हैं।

इन कारणों से लाखों बच्चे अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था — बचपन — को कठिनाइयों, शोषण और शिक्षा से वंचित रहकर व्यतीत करते हैं, जो उनके संपूर्ण विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

अंतरराष्ट्रीय नियम और कानून

विश्व स्तर पर बाल श्रम एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने बाल श्रम के विरुद्ध कई महत्वपूर्ण कानून और नीतियाँ बनाई हैं।
(1) अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization - ILO): यह संस्था 1919 में स्थापित की गई थी और इसका उद्देश्य दुनिया भर में श्रमिकों के लिए न्यायसंगत और गरिमापूर्ण कार्य परिस्थितियाँ सुनिश्चित करना है। आईएलओ के पास अब 187 सदस्य देश हैं।
(2) आईएलओ कन्वेंशन 138 (Convention No. 138): इस कन्वेंशन के अनुसार सदस्य देशों को न्यूनतम कार्य आयु तय करनी होती है और इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर शिक्षा की प्राथमिकता सुनिश्चित करनी होती है।
(3) आईएलओ कन्वेंशन 182 (Convention No. 182): यह कन्वेंशन बाल श्रम के सबसे खराब रूप (Worst Forms) को समाप्त करने पर केंद्रित है, जैसे — गुलामी, वेश्यावृत्ति, मादक पदार्थों की तस्करी में जबरन संलिप्तता आदि।
(4) UN Convention on the Rights of the Child (UNCRC): यह संधि बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और गरिमा के अधिकारों की रक्षा करती है।
(5) World Day Against Child Labour (12 जून): वर्ष 2002 में आईएलओ ने इस दिन की स्थापना की थी ताकि वैश्विक स्तर पर बाल श्रम के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ाई जा सके। यह दिन बच्चों को गरिमापूर्ण जीवन, शिक्षा और बचपन देने के लिए प्रतिबद्धता को दोहराने का अवसर है।
(6) Sustainable Development Goal 8.7 (SDG 8.7): यह लक्ष्य 2025 तक खतरनाक बाल श्रम के सभी रूपों को समाप्त करने की दिशा में काम करता है और सदस्य देशों को सहयोगात्मक प्रयासों के लिए प्रेरित करता है।

संदर्भ- 

https://tinyurl.com/mupzebwn 

https://tinyurl.com/kcay3v7f 

https://tinyurl.com/538th8a5 

https://tinyurl.com/5n6ts964 

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