विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करते हैं मैंग्रोव वन, इनका संरक्षण है आवश्यक

जंगल
29-05-2025 09:31 AM
विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करते हैं मैंग्रोव वन, इनका संरक्षण है आवश्यक

जौनपुर के नागरिकों, क्या आप जानते हैं कि हाल ही में, गत वर्ष प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (The International Union for Conservation of Nature (IUCN)) द्वारा मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र की जांच में लगभग 50% पारिस्थितिक तंत्र को कमज़ोर, लुप्तप्राय या गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया। मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र की IUCN ने 'ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस' (Global Mangrove Alliance) जैसे संगठनों के साथ 44 देशों के 36 क्षेत्रों का मूल्यांकन किया। इस मूल्यांकन के तहत दक्षिण भारत, श्रीलंका, मालदीव और उत्तर-पश्चिमी अटलांटिक के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में पहचाना गया। इस मूल्यांकन के अनुसार, मैंग्रोव का लगभग 20% उच्च जोखिम में हैं और उन्हें लुप्तप्राय या गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में चिह्नित किया गया है, जो पतन के गंभीर जोखिम का संकेत देता है। क्या आप जानते हैं कि हमारे देश भारत में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों से लेकर शुष्क पर्णपाती वनों, अल्पाइन वनों के साथ-साथ मैंग्रोव वन बहुलता में वन पाए जाते हैं। ये वन विभिन्न पौधों, जानवरों और पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करते हैं। ये वन स्वच्छ हवा बनाए रखने, पानी का भंडारण करने, मिट्टी को कटाव से बचाने और कई प्रजातियों को घर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन वनों का संरक्षण न केवल प्रकृति के लिए, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों, जलवायु संतुलन और समग्र कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। तो आइए, आज भारत में मैंग्रोव वनों की उपस्थिति के बारे में जानते हुए, इन वनों का महत्व समझते हैं। उसके साथ ही, हम भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के मैंग्रोव वनों के बारे में जानेंगे और अंत में, मैंग्रोव संरक्षण के उद्देश्य से प्रमुख सरकारी और सामुदायिक पहलों की जांच करेंगे।

तटीय अंतरज्वारीय क्षेत्र में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र  | चित्र स्रोत : Wikimedia  

भारत में मैंग्रोव वनों की उपस्थिति:

मैंग्रोव भूमि और समुद्र के मिलन बिंदु पर स्थित अद्वितीय और अत्यधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र हैं। ये वन तटीय संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण और जलवायु विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विश्व के लगभग 40% मैंग्रोव वन दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं जो विश्व के मैंग्रोव आवरण का 6.8% है और दक्षिण एशिया में पाए जाने वाले कुल मैंग्रोव आवरण का लगभग 3% हिस्सा भारत में है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, देश में मैंग्रोव का आवरण देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 0.15% अर्थात 4,975 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। भारत में मैंग्रोव के अंतर्गत पाए जाने वाले कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा हिस्सा अकेले पश्चिम बंगाल के सुंदरवन में है। भारत के कुल मैंग्रोव आवरण का 42.45% हिस्सा पश्चिम बंगाल में है, इसके बाद गुजरात में 23.66% और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 12.39% है। देश में पश्चिम बंगाल में 2114 वर्ग किलोमीटर, गुजरात में 1140 वर्ग किलोमीटर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 617 वर्ग किलोमीटर, आंध्र प्रदेश में 404 वर्ग किलोमीटर एवं महाराष्ट्र 304 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मैंग्रोव वन फैले हैं। केरल (9 वर्ग किलोमीटर) और केंद्रशासित प्रदेशों में, पुडुचेरी (2 वर्ग किलोमीटर) में मैंग्रोव आवरण देश में सबसे कम है।

ज्वार भाटा में मैंग्रोव | चित्र स्रोत : Wikimedia  

मैंग्रोव वनों का महत्व:

  • मैंग्रोव वन अत्यंत उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जो जैव विविधता में अत्यधिक समृद्ध होते हैं।
  • ये वन विभिन्न प्रकार की समुद्री प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं और युवा समुद्री जानवरों के लिए महत्वपूर्ण नर्सरी क्षेत्रों के रूप में कार्य करते हैं।
  • ये वन विभिन्न प्रकार की मछलियों, सरीसृपों जैसे समुद्री कछुओं, भूमि कछुओं, मगरमच्छ, काइमैन, सांप और छिपकलियों और अकशेरुकी जीवों जैसे झींगा, केकड़े, सीप, ट्यूनिकेट्स, स्पंज, घोंघे और कीड़ों का घर हैं।
  • इन वनों की सघन जड़ प्रणालियां नदियों और जमीन से बाहर बहने वाली तलछट को फंसाकर रखती हैं।
  • ये समुद्र तट को स्थिर करते हैं और लहरों और तूफ़ानों से होने वाले कटाव को रोकते हैं।
  • ये वन तटीय प्रणाली को चक्रवातों, तूफ़ानी लहरों आदि से बचाते हैं।
  • चूंकि वे नियमित रूप से ज्वारीय लहरों का अनुभव करते हैं, इसलिए इनमें उनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है।
सुंदरबन में बंगाल टाइगर | चित्र स्रोत : Wikimedia  

मैंग्रोव वनों के प्रकार:

मैंग्रोव तटीय पौधे हैं जो गर्म, संरक्षित तटरेखाओं पर पाए जाते हैं। ये वन उन क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित होते हैं जहाँ वसंत ज्वार के दौरान पानी बढ़ता है। ये वन खारे पानी में बहुत अच्छी तरह से विकसित होते हैं। ये क्षेत्र गर्म होते हैं, जिनका तापमान 26°C और 35°C के बीच होता है, और 1,000 से 3,000 मिलीलीमीटर के बीच उच्च वर्षा होती है। मैंग्रोव पेड़ों की जड़ें अनोखी होती हैं जो उन्हें तूफ़ानों और उच्च नमक के स्तर से बचने में मदद करती हैं। मैंग्रोव विभिन्न प्रकार के होते हैं:

  • लाल मैंग्रोव: तटों पर पाए जाते हैं।
  • काले मैंग्रोव: अपनी गहरी छाल के लिए जाने जाते हैं।
  • सफ़ेद मैंग्रोव: सबसे ऊंचे स्थानों पर उगते हैं।
कम ज्वार में चैनल चित्र स्रोत : Wikimedia  

भारत में मैंग्रोव संरक्षण के लिए पहल:

  • भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India (FSI) द्वारा भारत राज्य वन रिपोर्ट (India State of Forest Report (ISFR) 2023 के अनुसार, भारत में मैंग्रोव आवरण का क्षेत्र पिछले मूल्यांकन की तुलना में 0.34% अर्थात 17 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है।
  • मिष्टी (तटीय आवास और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes): यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change (MOEF & CC) के तहत एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य समुद्र तट और नमक वाली भूमि पर मैंग्रोव आवरण को बढ़ाना है। इस पहल के तहत स्थानीय समुदायों को मैंग्रोव वृक्षारोपण करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है और लोगों को मैंग्रोव के महत्व और पर्यावरण की रक्षा में उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
  • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में सतत जलकृषि (Sustainable Aquaculture In Mangrove Ecosystem (SAIME) पहल: इस पहल के तहत जलकृषि फार्म के निर्माण को बढ़ावा दिया जाता है जिसमें टिकाऊ एकीकृत मैंग्रोव जलकृषि प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
  • जादुई मैंग्रोव अभियान: इस पहल के तहत डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने मैंग्रोव संरक्षण पर नौ तटीय राज्यों में नागरिकों को शामिल किया है।
  • 'मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों के संरक्षण और प्रबंधन' पर राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम: यह मैंग्रोव संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक वार्षिक प्रबंधन कार्य योजना की तैयारी है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/44t7y9eh

https://tinyurl.com/4wjft2b8

https://tinyurl.com/232nnpu6

https://tinyurl.com/38pzs95f

सुंदरबन में हिरणों का स्रोत : Wikimedia 

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