लखनऊ के कई लोगों के लिए यह चौंकाने वाली बात हो सकती है कि हमारे शहर में केसर उगाया जा सकता है, और वो भी बिना मिट्टी के। इसे एरोपॉनिक्स (Aeroponics) कहते हैं, जो एक नई खेती की तकनीक है। इस तकनीक से लखनऊ में पहली बार केसर का फूल खिला है। तो आज हम जानेंगे कि भारत में किस तरह के एरोपॉनिक सिस्टम का इस्तेमाल होता है। फिर हम यह समझेंगे कि इस तरह की खेती लखनऊ में कैसे शुरू की जा सकती है। हम यह भी जानेंगे कि लखनऊ में एरोपॉनिक फ़ार्म सेटअप करने में कितना खर्च आता है।
इसके साथ ही, हम यह देखेंगे कि एरोपॉनिक सिस्टम के जरिए केसर की खेती में नई तकनीक कैसे मदद करती है। इसमें कुछ तकनीकें हैं, जैसे स्वचालित पोषक तत्व देना, आई ओ टी सेंसर (IoT sensors) और ए आई (AI) की मदद से फ़सल का विश्लेषण। अंत में, हम यह समझेंगे कि भारत में एरोपॉनिक तरीके से केसर उगाकर कितनी कमाई की जा सकती है।
एरोपॉनिक टॉवर सिस्टम | चित्र स्रोत : Wikimedia
भारत में एरोपॉनिक सिस्टम के विभिन्न प्रकार
एरोपॉनिक टॉवर सिस्टम (Aeroponic Tower Systems): एरोपॉनिक टॉवर सिस्टम, जैसे कि एरोपॉनिक टॉवर गार्डन और एरोपॉनिक वर्टिकल टॉवर, ऊंचे ढांचे होते हैं जिनमें पौधे कई परतों में लगाए जाते हैं। ये सिस्टम, शहरी इलाकों और छोटे स्थानों के लिए बेहतरीन होते हैं।
इनडोर एरोपॉनिक्स सिस्टम (Indoor Aeroponics Systems): इनडोर एरोपॉनिक्स में ग्रीनहाउस या घरों जैसी नियंत्रित जगहों में सिस्टम स्थापित किया जाता है। ये सेटअप उन लोगों के लिए अच्छे हैं जो घर पर एरोपॉनिक खेती करना चाहते हैं या इनडोर एरोपॉनिक बागवानी शुरू करना चाहते हैं।
वाणिज्यिक एरोपॉनिक खेत (Commercial Aeroponic Farms) : बड़े पैमाने पर एरोपॉनिक टॉवर खेत या एरोपॉनिक वर्टिकल फ़ार्मिंग सिस्टम का उपयोग करके फसलें उगाई जाती हैं। ये खेत, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों या उन देशों में फ़ायदेमंद होते हैं जहाँ सीमित कृषि भूमि है, जैसे कि यू ए ई (UAE)।
लखनऊ में एरोपॉनिक खेत कैसे लगाएं?
सिस्टम चुनें: पहले यह सोचना ज़रूरी है कि आपको टॉवर गार्डन, इनडोर सिस्टम या बड़ा खेत लगाना है।
ज़रूरी सामान: एरोपॉनिक किट या खेती का सामान लें, जैसे पानी छिड़कने वाला सिस्टम, पोषक तत्व का टैंक और इनडोर खेती के लिए लाइट्स।
पोषक घोल तैयार करें: जो फ़सल आप उगाने वाले हैं, उसके लिए अच्छा पोषक घोल तैयार करें।
सेटअप लगाएं: सिस्टम को ऐसी जगह रखें जहाँ सूरज की रोशनी मिले, या फिर लाइट्स लगाएं।
देखभाल करें: समय-समय पर सिस्टम, पानी और पौधों की हालत चेक करते रहें।
एरोपॉनिक फ़ार्म | चित्र स्रोत : flickr
लखनऊ में एरोपॉनिक फ़ार्म सेटअप करने की लागत
यहाँ 1 एकड़ में एरोपॉनिक फ़ार्म सेटअप करने की लागत का विवरण दिया गया है:
इन्फ़्रास्ट्रक्चर (Infrastructure): एरोपॉनिक फ़ार्म के इन्फ़्रास्ट्रक्चर में एल ई डी लाइट्स, पंप, मिस्टिंग नोज़ल्स, हाइड्रोपॉनिक नेट पॉट्स (Hydroponic net pots) और अन्य जरूरी उपकरण शामिल हैं। इनकी लागत फ़ार्म की विशेष आवश्यकताओं के आधार पर बदल सकती है। अनुमानित लागत ₹50,00,000 से ₹2,00,00,000 तक हो सकती है।
भूमि की तैयारी (Land Preparation): इसमें भूमि को एरोपॉनिक सिस्टम के लिए तैयार करना शामिल है, जैसे भूमि को समतल करना, ड्रेनेज सिस्टम लगाना और एरोपॉनिक सिस्टम सेटअप करना। इसकी लागत ₹5,000 से ₹15,000 प्रति एकड़ हो सकती है।
पौधों की सामग्री (Planting Material): यह उस फ़सल के बीज या पौधों की कीमत है, जिसे आप उगाना चाहते हैं। फ़सल के प्रकार और उपलब्धता के आधार पर यह खर्च बदल सकता है। औसतन, इसकी लागत ₹20,000 से ₹50,000 तक हो सकती है।
पोषक घोल (Nutrient Solution): एरोपॉनिक्स में पोषक घोल का सही प्रबंध बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें पोषक तत्वों का सही संतुलन बनाए रखना और सही पावर ऑफ़ हाइड्रोजन (pH) स्तर बनाए रखना शामिल है। इस घोल की लागत ₹40,000 से ₹70,000 तक हो सकती है, जो फ़सल के प्रकार, आवश्यक खनिजों और घोल की स्थिरता पर निर्भर करती है।
रखरखाव और संचालन की लागत (Maintenance and Operation Costs): इसमें बिजली, पानी, श्रम और अन्य संचालन खर्च शामिल हैं। हाल ही में किए गए आंकड़ों के अनुसार, एरोपॉनिक शहरी खेती उद्योग में उपकरण और संरचना के रखरखाव की वार्षिक लागत ₹5,00,000 से ₹10,00,000 तक हो सकती है।
विपणन और बिक्री (Marketing and Sales): इसमें पैकेजिंग, परिवहन और उत्पादन की मार्केटिंग की लागत शामिल है। यह लागत आपके विपणन और बिक्री रणनीतियों के आधार पर बहुत बदल सकती है।
इस प्रकार, एरोपॉनिक फ़ार्म को सेटअप करने और चलाने की कुल लागत लगभग ₹60 लाख से ₹2.2 करोड़ तक हो सकती है। यह भूमि, उपयोग की गई सामग्री, बाज़ार की कीमतों आदि के आधार पर बदल सकती है।
केसर | चित्र स्रोत : Wikimedia
लखनऊ में एरोपॉनिक सिस्टम से केसर की खेती में तकनीकी मदद
स्वचालित पोषक तत्व आपूर्ति (Automated Nutrient Delivery): ये सिस्टम यह सुनिश्चित करते हैं कि केसर के पौधों को सही समय पर सही पोषक तत्व मिलें।
आई ओ टी सेंसर (Iot Sensors): ये डिवाइस फ़सल के आसपास की हालत (जैसे तापमान, नमी) को वास्तविक समय में मापते हैं और ज़रूरत पड़ी तो बदलाव करते हैं।
ए आई-आधारित विश्लेषण (AI Powered Analytics): ए आई (AI), यह मदद करता है कि कब फ़सल को काटना सही रहेगा और अगर कोई समस्या हो तो उसे पहले ही पहचान लिया जाता है।
एल ई डी लाइटिंग (LED Lighting): खास एल ई डी लाइट्स, केसर के सही से बढ़ने और फूलने के लिए ज़रूरी रोशनी देती हैं।
एरोपॉनिक प्रणाली में उगाए जा रहे एक पौधे की जड़ें | चित्र स्रोत : Wikimedia
भारत में एरोपॉनिक तरीके से केसर की खेती से होने वाली कमाई
अक्षय होले और उनकी बैंकर पत्नी दिव्या लोहरके होले ने 2020 में लखनऊ के लोक सेवा नगर में अपनी छत पर 80 वर्ग फ़ुट का एरोपॉनिक सिस्टम लगाकर केसर उगाने की शुरुआत की। पहले उन्होंने कश्मीर में दो साल बिताए, जहां उन्होंने पारंपरिक केसर खेती के बारे में सीखा।
शुरुआत में, उन्होंने 100 बीज (लगभग 1 किलोग्राम) लाकर कुछ ग्राम केसर उगाया। फिर उन्होंने अपने काम को बढ़ाकर 350 किलोग्राम बीज लगाए और करीब 1,600 ग्राम केसर उगाया। अब उनकी खेती का आकार 480 वर्ग मीटर हो गया है, जिसमें 400 वर्ग फ़ुट का एक यूनिट हिंगना में भी है।
इस जोड़े की मेहनत ने अच्छा फ़ल दिया। पिछले दो सालों में उन्होंने हर साल ₹40 लाख से ₹50 लाख तक की कमाई की। 100 वर्ग फ़ुट के यूनिट की शुरुआत करने की लागत लगभग ₹10 लाख होती है, और इससे हर साल ₹5 लाख का केसर मिल सकता है।
केसर की फ़सल साल में एक बार अगस्त से दिसंबर के बीच होती है। बाकी समय में बीजों की खेती होती है। मशीनें 20 से 25 साल तक चल सकती हैं।
अब तक, इस जोड़े ने ₹55 लाख का निवेश किया है और 5 साल में ₹1.3 करोड़ कमाए हैं। उनका केसर ₹630 प्रति ग्राम बिकता है।