कैसे नीम और शतावरी, लखनऊवासियों की सेहत और परंपरा की हैं अमूल्य धरोहर

वृक्ष, झाड़ियाँ और बेलें
17-10-2025 09:14 AM
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कैसे नीम और शतावरी, लखनऊवासियों की सेहत और परंपरा की हैं अमूल्य धरोहर

लखनऊवासियो, हमारी तहज़ीब और संस्कृति हमेशा से प्रकृति से गहराई से जुड़ी रही है। कभी दादी-नानी की रसोई में रखे घरेलू नुस्ख़े हों या पुराने मोहल्लों में लगे नीम के घने पेड़ - यह शहर औषधीय पौधों की उपयोगिता को अपनी परंपराओं में सहेजकर आगे बढ़ाता रहा है। यही कारण है कि यहाँ की गलियों और आँगनों में नीम की छाँव केवल ठंडक ही नहीं देती थी, बल्कि घर के हर सदस्य के स्वास्थ्य की सुरक्षा भी करती थी। इसी तरह, शतावरी का नाम भी भारतीय जीवन से जुड़ा हुआ है। आयुर्वेद में इसे महिलाओं की सेहत का अभिन्न साथी और तनाव से राहत देने वाली जड़ी-बूटी माना गया है। आज जब आधुनिक विज्ञान भी इन पौधों के औषधीय गुणों की पुष्टि कर रहा है, तब यह समझना और भी ज़रूरी हो जाता है कि नीम और शतावरी हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। लखनऊ जैसे शहर में, जो परंपरा और आधुनिकता दोनों का संगम है, ये दोनों जड़ी-बूटियां न केवल हमारी विरासत की याद दिलाती हैं, बल्कि भविष्य में स्वस्थ जीवन की दिशा भी दिखाती हैं।
इस लेख में हम इन दोनों के बारे में क्रमवार जानेंगे। पहले, नीम का ऐतिहासिक और औषधीय महत्व समझेंगे। फिर देखेंगे कि नीम के विभिन्न भागों - पत्ते, बीज, छाल, जड़, फल और फूल - किस तरह उपयोगी हैं। इसके बाद, नीम के औषधीय गुण और आधुनिक शोधों पर चर्चा करेंगे। आगे, शतावरी का परिचय, उसका पारंपरिक उपयोग और औषधीय महत्व समझेंगे। और अंत में, शतावरी के प्रमुख स्वास्थ्य लाभों की विस्तार से जानकारी लेंगे।

नीम का ऐतिहासिक और औषधीय महत्व
नीम (Azadirachta indica) भारतीय जीवन का हिस्सा सदियों से रहा है और हमारे सांस्कृतिक व औषधीय इतिहास में इसकी खास जगह है। आयुर्वेद में नीम को “प्रकृति की संपूर्ण औषधि” कहा गया है, क्योंकि यह अनगिनत बीमारियों के उपचार में कारगर है। इसकी महत्ता इतनी है कि इसे “सभी औषधीय जड़ी-बूटियों का राजा” की उपाधि मिली और संयुक्त राष्ट्र ने इसे “21वीं सदी का वृक्ष” घोषित किया। 1992 में यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (US National Academy of Science) ने भी नीम को “वैश्विक समस्याओं को हल करने वाला पेड़” करार दिया। भारत में परंपरागत रूप से हर घर के पास नीम का पेड़ लगाया जाता रहा है, क्योंकि यह शुद्धता, स्वास्थ्य और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।नीम के विभिन्न भागों का औषधीय उपयोग
नीम का कोई भी हिस्सा व्यर्थ नहीं जाता; इसकी हर पत्ती, बीज, छाल, जड़, फल और फूल स्वास्थ्य का खज़ाना हैं।

  • पत्तियां: नीम की पत्तियां त्वचा संबंधी रोगों, घावों और संक्रमणों में अत्यंत लाभकारी हैं। इन्हें पानी में उबालकर स्नान के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे खुजली और फंगल संक्रमण में आराम मिलता है। साथ ही, इनका लेप त्वचा को मुलायम और साफ़ बनाए रखता है। नीम की पत्तियां मच्छर और अन्य कीटों को दूर भगाने में भी कारगर हैं, इसीलिए इन्हें घर की सफ़ाई और सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • बीज: नीम के बीज आंतों के कीड़ों और परजीवियों को खत्म करने के लिए पारंपरिक रूप से जाने जाते हैं। बीज का रस आंतों को साफ़ करने और पेट की तकलीफ़ों को दूर करने में सहायक माना जाता है। ग्रामीण इलाकों में आज भी इसका उपयोग घरेलू दवा के रूप में किया जाता है।
  • छाल: नीम की छाल दांतों और मसूड़ों के रोगों में बहुत लाभकारी है। परंपरा में लोग नीम की दातुन करते थे, जिससे दांत मजबूत रहते और मुंह के कीटाणु नष्ट हो जाते। इसकी कसैली और एंटीसेप्टिक (antiseptic) प्रकृति मौखिक स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
  • जड़ें: नीम की जड़ों में शुद्धिकरण और एंटीऑक्सिडेंट (antioxidant) गुण होते हैं। इनके अर्क का उपयोग शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने और रक्त को शुद्ध करने में किया जाता है। आधुनिक शोधों ने भी इसकी उच्च एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को प्रमाणित किया है।
  • फल और तेल: नीम के फलों से निकाला गया तेल बालों की रूसी दूर करने में बेहद कारगर है। इसे खोपड़ी पर लगाने से बाल स्वस्थ और मजबूत होते हैं। यही तेल मच्छर निरोधक के रूप में भी प्रभावी है और कई प्राकृतिक उत्पादों में शामिल किया जाता है।
  • फूल: नीम के फूलों में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और इन्हें भोजन में भी औषधीय उपयोग के लिए शामिल किया जाता है। दक्षिण भारत में पारंपरिक व्यंजन ‘उगादी पचड़ी’ में नीम के फूलों का प्रयोग होता है, जो शरीर को शुद्ध करने और गर्मियों में ठंडक देने में मदद करता है।
File:Shatavari 01.JPG

नीम के औषधीय गुण और आधुनिक शोध
नीम केवल पारंपरिक मान्यताओं का हिस्सा नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान ने भी इसकी महत्ता को सिद्ध किया है। नीम में जीवाणुरोधी, एंटीवाइरल (antiviral) और एंटी-इंफ़्लेमेटरी (anti-inflammatory) तत्व मौजूद हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में सक्षम हैं। कैंसर प्रबंधन में भी नीम का योगदान देखा गया है, क्योंकि यह कोशिका संकेतन मार्गों को नियंत्रित कर असामान्य कोशिकाओं के प्रसार को रोकता है। इसके अलावा, सूजन कम करने और दर्द से राहत देने में भी यह उपयोगी है। त्वचा पर इसका नियमित उपयोग न केवल मुंहासों और दाग-धब्बों को कम करता है, बल्कि त्वचा को भीतर से शुद्ध करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली पर इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है। यही कारण है कि नीम आज भी पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों में एक महत्वपूर्ण औषधि है।

शतावरी का परिचय और पारंपरिक उपयोग
शतावरी (Asparagus racemosus), जिसे सतावर भी कहा जाता है, भारतीय आयुर्वेद में महिला स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पौधा एक एडाप्टोजेनिक (adaptogenic) जड़ी-बूटी है, यानी यह शरीर की विभिन्न प्रणालियों को संतुलित करता है और मानसिक व शारीरिक तनाव से निपटने की क्षमता को बढ़ाता है। आयुर्वेद में शतावरी को “महिलाओं की सबसे अच्छी मित्र” कहा गया है, क्योंकि यह हार्मोन (hormone) को संतुलित करती है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और हर साल औषधियों के निर्माण में सैकड़ों टन जड़ों का उपयोग किया जाता है।

शतावरी के औषधीय लाभ
शतावरी को स्वास्थ्य के लिए बेहद बहुमूल्य माना जाता है।

  • एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा शक्ति: शतावरी में पाए जाने वाले सैपोनिन तत्व शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाते हैं। इससे शरीर संक्रमणों के खिलाफ अधिक सक्षम हो जाता है।
  • पाचन स्वास्थ्य: शतावरी पाचन एंज़ाइमों (Enzymes) जैसे लाइपेज़ (Lipase) और एमाइलेज़ (Amylase) की गतिविधि को बढ़ाती है। यह वसा और कार्बोहाइड्रेट (Carbohyderate) दोनों के पाचन में मदद करती है, जिससे अपच और गैस जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
  • श्वसन रोगों में राहत: पारंपरिक चिकित्सा में शतावरी की जड़ का रस खांसी और श्वसन रोगों में उपयोग किया जाता है। शोधों ने भी यह साबित किया है कि यह प्राकृतिक खांसी की दवा जितनी प्रभावी हो सकती है।
  • रक्त शर्करा नियंत्रण: टाइप 2 मधुमेह के रोगियों के लिए शतावरी बेहद उपयोगी है। यह शरीर में इंसुलिन (insulin) स्तर को नियंत्रित करने और रक्त शर्करा को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है।
  • यौन स्वास्थ्य और कामोत्तेजक गुण: शतावरी को एक प्राकृतिक कामोत्तेजक माना गया है। यह महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य सुधारने और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) स्तर तथा शुक्राणु उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है। इससे यह संपूर्ण यौन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनती है।

संदर्भ-
https://shorturl.at/kp8j5 



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