इस लॉकडाउन में छात्रों द्वारा उठाया जा सकता है, ऑनलाइन शिक्षा का लाभ

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण
21-04-2020 09:30 AM
इस लॉकडाउन में छात्रों द्वारा उठाया जा सकता है, ऑनलाइन शिक्षा का लाभ

2019-20 कोरोनोवायरस (coronavirus) महामारी ने विश्व भर में शैक्षिक प्रणालियों को काफी प्रभावित किया है, इससे स्कूल, विश्वविद्यालय और कॉलेज व्यापक रूप से बंद हो गए हैं। जिस वजह से 13 अप्रैल 2020 तक, लगभग 1.725 बिलियन शिक्षार्थी स्कूल बंद होने के कारण प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक संगठन की जांच के अनुसार, 192 देशों ने अपने संपूर्ण देश को बंद किया हुआ है और 5 देशों ने स्थानीय शहरों को बंद किया है, जिससे विश्व की लगभग 99.9 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित हुई है। वहीं 2015/16 में 1.5 मिलियन से अधिक स्कूलों और लगभग 260 मिलियन छात्रों के साथ, भारत में चीन के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी स्कूल प्रणाली है और अमेरिका के बाद भारत में ई-लर्निंग (e-learning) का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।

भारत द्वारा 16 मार्च को संपूर्ण देश के स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने की घोषणा कर दी गई थी। वहीं 19 मार्च को, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विश्वविद्यालयों से 31 मार्च तक परीक्षा स्थगित करने का अनुरोध किया गया। जिसके चलते सीबीएसई (CBSE) और आईसीएसई (ICSE) बोर्ड (board) द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा को भी 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। वहीं स्कूलों के बंद होने से कई छात्र, शिक्षक और परिवार प्रभावित हो रहे हैं। इस लॉकडाउन (lockdown) से न केवल छात्र, शिक्षक और परिवार प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि इससे दूरगामी आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं। इस लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद होने से छात्र ऋण, डिजिटल (digital) शिक्षा, खाद्य असुरक्षा और बेघर होने के साथ-साथ शिशु पालन, स्वास्थ्य देखभाल, आवास, इंटरनेट (internet) और विकलांगता सेवाओं तक पहुंच सहित विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर प्रकाश आया है। केवल इतना ही नहीं इस प्रभाव ने वंचित बच्चों और उनके परिवारों पर अधिक गंभीर प्रभाव डाला है, जिससे शिक्षण में बाधा, पोषण में समझौता, शिशु पालन की समस्याएं और परिणामस्वरूप उन परिवारों को आर्थिक लागत का सामना करना पड़ रहा है जो काम नहीं कर सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक संगठन द्वारा स्कूल बंद होने पर दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों का उपयोग और शैक्षिक अनुप्रयोगों और मंच को खोलने की सिफारिश की गई है। ये प्रभाव हमें ऑनलाइन (online) सीखने की क्षमता का एहसास कराने का एक उपयुक्त समय है। कई एड-टेक (ed-tech) व्यवसाय-संघ ने ई-लर्निंग मापांक पर मुफ्त ऑनलाइन कक्षाएं या आकर्षक छूट प्रदान करके इस अवसर का लाभ उठाने की कोशिश की है। दूरस्थ शिक्षा इस समय के दौरान छात्रों के लिए एक व्यवहार्य समाधान के रूप में सामने आया है, यह शिक्षकों और छात्रों को सुविधाजनक और सस्ती पहुँच प्रदान करता है। ई-लर्निंग भी कक्षा शिक्षण की तुलना में एक दिलचस्प और संवादात्मक विकल्प है। भारत के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय जैसे कि दिल्ली विश्वविद्यालय अपने छात्रों को पहले से ही ऑनलाइन कक्षाएं दे रहा है। लेकिन भारत में कई उच्च शिक्षा संस्थान इस तरह की सुविधाओं से सुसज्जित नहीं हैं और इस तरह के अवकाश की स्थिति में, कुछ छात्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं, साथ ही यह उनके पूरे शैक्षणिक वर्ष को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, देखा जाएं तो भारत में दूरस्थ शिक्षा को स्कूल शिक्षा के संभावित विकल्प के रूप में लेने के लिए काफी अधिक समय लग सकता है। क्योंकि पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली आमने-सामने या शारीरिक शिक्षण का अनुसरण करती है, भले ही कक्षाओं में ऑडियो-विजुअल एड्स (audio-visual aids) की प्रवृत्ति एक दशक पहले पेश की जा चुकी थी।

लेकिन भारत में, अभी भी डिजिटल (digital) शिक्षा को मुख्य विचारधारा की शिक्षा के रूप में देखने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना होगा। ऑनलाइन शिक्षा के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति और सर्वव्यापी इंटरनेट संयोजकता की आवश्यकता होती है जो टियर 2 (tier 2) और टियर 3 (tier 3) शहरों में फिलहाल मौजूद नहीं है। ऑनलाइन शिक्षा में एक और चुनौती यह है कि ई-लर्निंग कुछ हद तक पेचीदा और अवैयक्तिक अनुभव के रूप में भी सामने आता है। इसके अलावा, ई-लर्निंग के अध्ययन के लिए घर का वातावरण उपयुक्त नहीं होगा, क्योंकि छात्र घर पर गेम, सोशल मीडिया से विचलित हो सकते हैं और ऑनलाइन कक्षाएं लेते समय उनका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगने की संभावनाएं हैं। लेकिन छात्रों और शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा का संपूर्ण लाभ उठाकर इस अवसर में आने वाली परीक्षाओं की तैयारी के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का उपयोग करना चाहिए, जिससे हमें भविष्य में मदद मिल सकती है।

चित्र (सन्दर्भ):
1.
मुख्य चित्र में ई-लर्निंग (E-Learning) को कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया है।
2. द्वितीय चित्र में ई-लर्निंग (E-Learning) को कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया है।
3. अंतिम चित्र में ई-लर्निंग (E-Learning) को कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया है। Publicdomainpictures

संदर्भ :-
1.
https://bit.ly/2XP9Ees
2. https://bit.ly/3btUa3u
3. https://bit.ly/2VKCgCT
4. https://bit.ly/2XNm9Hv



Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.