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संख्या 108 एक प्राकृतिक संख्या है जो न केवल गणितीय (Mathematical) रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि इसका विभिन्न धर्मों जैसे हिंदू धर्म (Hinduism), बौद्ध धर्म (Buddhism) और जैन धर्म (Jainism) इत्यादि में भी विशेष महत्व है। आइए इस साधारण सी दिखने वाली संख्या के पीछे छुपे हुए रहस्य के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
हिंदू धर्म में संख्या 108 का महत्व 
हिंदू धर्म के शैव धर्म में ध्यान लगाते समय, लिंगायत (Ligayats) व प्रार्थना करते समय 108 मनकों वाली माला का उपयोग किया जाता है। यह मनके 108 मुख्य शिवगण या शिव के परिचयकों (Attendants of Shiva) के प्रतीक हैं। श्री वैष्णव परंपरा (Sri Vaishnavite Tradition) में विष्णु के 108 मंदिर (Temples of Vishnu) हैं जिन्हें दिव्य देशम (Divya Deshams) कहा जाता है और जो दिव्य प्रबंध (Divya Prabandha) में 12 अलवरों (Alvars) द्वारा प्रतिष्ठित हैं। यह 4,000 तमिल छंदों (Tamil verses) का एक पौराणिक संग्रह है। गौड़ीय वैष्णव (Gaudiya Vaishnavism) धर्म में, वृंदावन (Brindavan) में भगवान श्रीकृष्ण के 108 मुख्य अनुयायियों को गोपियों के रूप में जाना जाता है। उनके नामों का जाप भी 108 मनकों की माला से किया जाता है। आयुर्वेद में लिखा है कि मानव शरीर में 108 मर्म बिंदुओं अर्थात मनुष्य की शक्ति के महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं। अत: हिंदू धर्म में सभी मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है, इसका कारण यह है कि प्रत्येक मंत्र मनुष्य के भौतिक शरीर को आत्मा से मिलाने में साहयता करते हैं जिससे हमारे मन-मस्तिष्क में आध्यात्मिक ज्ञान का संचार होता है।

जैन धर्म में संख्या 108 का महत्व
जैन धर्म में संख्या 108 का महत्वपूर्ण स्थान है। मनुष्य के कर्म-प्रवाह (Karma Influx) अस्रव (Aasrav) को इस प्रकार से विभाजित किया गया है: 4 कषाय (Kashays) (क्रोध, घमंड, गुमान, लालच) x 3 कारण (Karanas) (मन, वाणी, शारीरिक क्रिया) x 3 चरणों की योजना (Stages Of Planning) (योजना, प्राप्त करना, प्रारंभ करना)  x 3 निष्पादन के तरीके (Ways of Execution) (स्वयं क्रिया, कार्य को पूरा करना, समर्थन या मंजूरी देना) । इन कर्मों की संख्याओं को गुणा करने पर हमें 108 अंक प्राप्त होता है। जो जैन धर्म में इसकी विशेषता को प्रकट करता है। 
बौद्ध धर्म में संख्या 108 का महत्व
बौद्ध धर्म में मनुष्य की इंद्रियों गंध, स्वाद, स्पर्श, चेतना, दॄष्टि, दर्द, सुख, आनंद आदि और भूत, वर्तमान और भविष्य  की कुल मिलाकर 108 भावनाओं के बारे में बताया गया है। इसके अतिरिक्त तिब्बती बौद्ध माला में भी 108 मनके होते हैं। चीनी बौद्ध और ताओवादी (Taoists) प्रर्थना के लिए इस माला का उपयोग करते हैं, इसे सू-चू (su-chu) कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्मग्रंथ लंकवत सूत्र (Lankavatara Sutra) में वर्णित 108 ज्ञान रूपी प्रश्नों के उत्तर दिए थे। जापान (Japan) में बौद्ध धर्म में नए साल के आगमन पर 108 बार घंटियाँ बजाई जाती हैं। जो मनुष्य को सांसारिक लोभ-लालच से मुक्त कर निर्वाण (Nirvana) की प्राप्ति की ओर अग्रसर करती है। 
खगोल विज्ञान (Astronomy) की बात करें तो सूर्य का व्यास (Diameter of the Sun) पृथ्वी के व्यास (Diameter of Earth) का 108 गुना है। सूर्य से पृथ्वी की दूरी (distance) सूर्य के व्यास का 108 गुना है और पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी भी चंद्रमा के व्यास का 108 गुना है। इसी के साथ ही हमारी आकाशगंगा (Galaxy) में 27 नक्षत्र (Constellations) हैं और प्रत्येक नक्षत्र में 4 दिशाएँ हैं। अत: इनको गुणा करने पर (27 x 4) संख्या 108 प्राप्त होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि संख्या 108 सम्पूर्ण आकाशगंगा को इंगित करती है। 
भारत (India) में पारंपरिक नृत्य के रूपों की कुल संख्या 108 है जो ईश्वर की प्रार्थना व ईश्वर से संबंधित पौराणिक कथाओं (mythology) को प्रस्तुत करने का एक तरीका है। इस्लाम धर्म में भी 108 को एक पवित्र संख्या माना जाता है जो ईश्वर को संदर्भित करता है। सिख धर्म में ऊन की काड़ी से बँधी 108 गाँठों वाली एक पवित्र माला का विशेष महत्व है। 
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार एक रासायनिक तत्व हैसियम (Hassium) की परमाणु संख्या 108 है। इसके अलावा 108 डिग्री फ़ारेनहाइट (Degree Fahrenheit) आंतरिक तापमान (Internal Temperature) पर मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंग अत्यधिक ताप से विफल होकर कार्य करना बंद कर देते हैं। 

यूनो (UNO) एक अमेरिकी शेडिंग-टाइप (Shedding-Type) कार्ड गेम (Card Game) है जो विशेष रूप से छपे हुए डेक (Printed Deck) के साथ खेला जाता है। इसमें कार्ड की कुल संख्या 108 होती है। इस प्रकार यह कहना उचित होगा कि संख्या 108 का हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एक विशेष स्थान है फिर वह क्षेत्र चाहे आध्यात्मिक हो, वैज्ञानिक हो या कला हो। यह संख्या अपनेआप में महत्वपूर्ण है।